उस सुबह को, उस शाम को,
एक अप्सरा दिखी, आम को,
खोया उसकी सुंदरता में ऐसा,
भूल गया मैं जाना, काम को
अजब सा नशा चढ़ा था मुझे,
कौन करे अब याद, राम को,
पतझड़ आया, आया सावन,
छोड़ ना सका, मैं आराम को,
तोड़ दिए रिश्ते, तोड़े नाते,
छोड़ ना पाया, इस इनाम को,
समझा ना मैं, चाल उसकी,
ना दिया महत्व, विश्राम को,
कुछ लम्हो बाद, बची तन्हाई,
न्योछावर हुआ सब, जाम को.
नशा अच्छा नही, कोई भी 'साथी',
समझाओ कोई, इस आवाम को ||
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