Wednesday, March 30, 2016

साथी

वो जो हर पल,
संग संग चली,
रात में भी फली,
दिन में भी चली,
बचपन में खेले,
बुढ़ापे में खेले,
जवानी में ना देखा,
वो जो साथ रही,
आँसुओं में अपनी,
हँसी मे अपनी,
परिवार में भी,
तन्हाई में अपनी,
जब आया समय,
एक प्रेमिका की तरह,
संग संग वो जली,
क्या जी सकते हो?
तुम ऐसी ज़िंदगी,
जैसे वो जीती है,
और मर जाती है,
संग संग तुम्हारे,

वो तुम्हारी परछाई |