Thursday, September 24, 2015

Mirage (Lyrette Poetry)


This World,
Celebrates, 
Efficiency 
But when introspects,
Efficiency,
Turns into,
Mirage.


Tuesday, September 15, 2015

दर्दनाक खंजर


सूनी ज़िंदगानी थी मेरी,
अधूरी कहानी थी मेरी,
लिख डाली खून से तेरे,
कमसिन जवानी थी मेरी,

भरोसे की नाव में सवार,
तेरे इश्क़ में था बेकरार,
सच से जो परदा हटाया,
खुद से हुआ मैं शर्मसार,

ना समझा था दोष अपना,
मिल कर देखा था सपना,
आँसुओ से पूछ बैठा मैं,
ज़हर को क्यूँ था पनपना,

वक़्त का अजीब खेल था,
ज़मीं आसमान का मेल था,
प्रेम की चाहत मे गुज़रा जीवन,
अंत में निकला सब तेल था,  

तुझसे मिलना इत्तेफ़ाक़ था,
मुखौटा तेरा शर्मनाक था, 
पीठ में जो था तूने घोपा, 
वो खंज़र बड़ा दर्दनाक था ||

Friday, September 11, 2015

शाम तक



प्रेरणा के विचार पर अल्फ़ाज़, शाम तक,
ज़रूर खुल जाएँगे सब राज़, शाम तक, 

बिन अल्फ़ाज़ धड़कनो मे बस गये हो तुम,
आँखो से उतारा दिल का साज़, शाम तक,   

गुलाबी गालो पर नखरो का वास है तुम्हारे,
पर कैसे रह पाओगे तुम नाराज़, शाम तक,   

एक होने का विचार, जहन मे तुम उतारो,
तैयार रखेंगे हम इश्क़ का जहाज़, शाम तक,

लाख कोशिशें कर डाली थी महज़बी ने 'साथी' 
पर बन ही बैठी अपनी हमराज़, शाम तक ||


Saturday, September 5, 2015

शिक्षक


संसार में जो संसार होते है,
शिक्षक वो शिल्पकार होते है, 

जलते है धूप में वो अक्सर,
दिमाग़ से तेज़ धार होते है,

अत्यंत विषैले तूफान में भी,
आज़ादी का विचार होते है, 
  
मिल नही पाते जो इनसे,
वो बदनसीब तार-तार होते है,
   
इज़्ज़त नही करते जो इनकी,
ज़िंदगी मे वो बेकार होते है,
   
कोयला बन जाता है हीरा, 
कुछ ऐसे इनके प्रहार होते है,      

डूबती नैय्या को बचाने वाले,
यही तो वो मल्हार होते है,

मज़िल पाने का जुनून अनंत,
राह मे चाहे ये दो-चार होते है,

गम को खुशियो मे बदले 'साथी',
शिक्षक ही वो चमत्कार होते है ||