Saturday, June 27, 2020

कुछ नही बदलता


कहते है सब, बदलाव, सबे बड़ा सत्य है,
अच्छे अच्छे करते, इसके समक्ष नृत्य है,

पर क्या बदलता है, सिर्फ़ समय के अलावा,
क्या बदलाव को मानना, ही है एक छलावा,

बचपन में बताया था, पढ़कर मिलेगी खुशी,
खेलोगे कूदोगे तो केवल रह जाओगे दुखी,

नौकरी नही है, वो तो है खुशी का पिटारा,
इसके बिना नही चल सकता जीवन हमारा,

बहुत मेहनत की पाने को, मैने वो दुनिया,
बस बीतता गया समय, और कुछ नही किया,

आज नौकरी है, पर वो बचपन नही रहा,
साँसें चल रही है पर, जीवन किसने कहा,

आज भी देखता हूँ, मैदान में खेलते बच्‍चे,
बचपन की वो यादें, एहसास वो सच्चे,

पर आज भी नही खेल सकता संग उनके,
मिला कुछ नही शायद, बस पल ही बदले,

कौन कहता है, इंतज़ार बदल देता है समय,
मेरा ख़त्म नही हुआ इंतज़ार, ना मिली लय,

क्या ये सब किसी की सोची समझी चाल थी,
या बस एक पुतले को मिली इंसानी खाल थी,

कौन कहता है, बदलाव ही सृष्टि का नियम है,
इस जाल को, तोड़ ना पाता कोई भी संयम है,

कितनी ही रूह बस शरीर में क़ैद रह जाती है,
साँसें मिलती है उनको, ज़िंदगी कहाँ वो पाती है,

पा लेते है जो सपने, वो भी कहाँ संतुष्ट होते है,
बस आगे आगे जाने की होड़ में लगाते गोते है,

मतलब, जो बदलता है, वो बस समय होता है,
इंसान करता है मरने का इंतज़ार, बस रोता है || Dr DV |