Sunday, October 8, 2017

सुनो प्रियतमा

सुनो प्रियतमा,

इस छोटी सी उम्र में,
इश्क़ का स्थाई अर्थ,
कैसे जान सकता हूँ,
कैसे छान सकता हूँ,

सुनो प्रियतमा,

मैं तुमसे बस साथ,
और सत्य, हाँ,
और सत्य की आस रखता हूँ,
अपना बंधन कुछ ख़ास रखता हूँ,

सुनो प्रियतमा,

मैं समझता हूँ दर्द,
और भीतर पनपता डर,
अपनो को छोड़ आने का,
अजनाबियो के बीच बस जाने का,
सुनो प्रियतमा,

शायद मैं शीघ्रता से,
और बेहद कुशलता से,
तुमको पहचान ना पाऊँ,
तुम्हारी आशा के विपरीत बन जाऊं,

सुनो प्रियतमा,

तुम फिर भी धीरज रखना,
रिश्तों को कुछ समय देना,
आस-पास का कोहरा हटा कर,
मष्तिश्क से चिंता घटा कर,

सुनो प्रियतमा,

जितना डर तुम मे समाया है,
शायद मुझमे भी है उतना,
इसलिए मैं भी इंतज़ार करूँगा,
तुम्हारी बात पर ऐतबार करूँगा,

सुनो प्रियतमा,

शुरू में कच्ची डोर,
समय संग पक्की हो जाती है,
तब तक मेरे संग रहना,
जैसी भी हो, उसी ढंग रहना

सुनो प्रियतमा ||