Monday, November 9, 2015

प्रेम उड़ान (वर्ण पिरामिड- सीधा और उल्टा (१ से १० और १० से १)


तू
मेरी
शर्माती, 
परछाई,
आसमान को,
ताकती सी भोली,
जैसे इंतज़ार हो,
उड़ जाने का तुझको,
खो जाने का आकाश में,
और फिर कभी ना लौटे तू,

पर बेबस यहाँ प्रेम मे,
तेरी हिरनी सी नज़रे,   
भोली और पिघलती,
क़ैद करती छाया,
तू प्यासी, मैं कुआँ,
है इंतज़ार,
उड़ने का,
संग मे,
मुझे, 
आ | 
        

Saturday, November 7, 2015

आज


छूकर गुज़री सर्द लहर जो तुझको आज,
सिरहन सी प्रतीत हुई यहाँ मुझको आज,

कोई बोला ये नाता है जन्मो जन्म का,
परंतु कोई ना समझ पाया उसको आज,

असमंजस में है मानव, दुर्भाग्य देख रहा, 
खुशियाँ छीनकर पाता है बस दुख को आज, 

समझ के परे एक समझ बलवती सी है, 
ना कर पाएगा खुश वो नादान, सबको आज, 

अंधकार में डूबी है समस्त पृथ्वी साथी, 
कौन जगाना चाहे यहाँ, अब खुद को आज ||  DV ||