Friday, September 30, 2016

Thank You Friend


A friend like you is a gift,
Bubbly in nature and swift,
Made me forget the pain,
Made me forget the rift,

Few moments of smile,
Made me light & agile,
A moment of bliss for me,
Is you, painting in style,

The timeless freshness of dew,
Is so soothing & so new,
The replication of the same,
Is our friendship, we knew,

The happiness walks along,
You are a melodious song,
Keep sharing, Oh Friend!
A thread that's infinitely long

The life comes with an end,
Every moment creates a trend,
From bottom of my heart,

Thank you, for being my friend.

Everything will be fine


Who knows, your mind,
Is smart and blind,
Who knows, your soul,
Is pure and whole,

This chaotic universe,
Is a confident verse,
No idea of tomorrow,
Teaching the flow,

Listen to their pain,
The hidden rain,
Realize the tragedy,
Laugh at the comedy,

The eye that picks,
Is rare, that sticks,
Rest, just drives you away,
While helping, they sway,

The freedom of thoughts,
Is rare like the knots,
If you posses that trait,
Blessed you are, Great!

Hold on to that treasure,
Passion, none could measure,
Keep crawling to the shore,
The stars will do the chore,

Believe in the chills,
Keep honing your skills,
Any moment can bring,
That invisible wing,

Be on a constant hunt,
In smile or grunt,
One day, you will shine,
Until then, Everything will be fine.


   
  


  

Wednesday, September 28, 2016

दो पंक्तियाँ

भूल से जब मुझको उसकी याद आई,
आँसुओं से भीगी वो मुस्कुराहट लाई ||




ज़िंदगी में जिंदा, ऐतबार देखा
उनकी आँखो में जो प्यार देखा ||




बस एक पल में ज़िंदगी जी गया,
बिन कुछ बोले जो क्रोध पी गया ||




देख पलट कर एक बार, मेरा समय रुका है,
सब कुछ सहा मैने, तेरा दर्द मुझमें दुखा है ||



रात ने मुझे, तेरे बारे में समझाया,

लोरी बोली तन्हाई, अंधेरे ने सुलाया ||  

Tuesday, September 27, 2016

अंजान


न मंज़िल का पता है,
न रास्ते की खबर है,
अंजान हूँ खुद से मैं,
अंजान हर डगर है,

क्या पाना है मुझको,
या क्या खोना है,
न जानू कि हँसना है,
या फिर रोना है,

एक मुसाफिर के जैसे,
बस चलता जा रहा हूँ,
तारों की रोशनी तले,
बस पलता जा रहा हूँ,
कोई कहता है पगला,
कोई बेबस सा कहता है,
कोई सोचता है देख, मुझे
दुनिया मे ये भी रहता है?

कैसे कोई इस जीवन को,
एक पल भी नही जीता,
पूछता हूँ खुद से मैं,
किस सोच का है नतीजा,

बंद एहसासो की ज़िंदगी,
आजकल आम सी हो गयी,
जाग उठा है लालच,
इंसानियत बदनाम सी हो गयी,

और मैं गुमसुम सा हूँ,
सागर किनारे को निहारता,
शांत हूँ लहरो सा पर,
अंतर्मन से, खुद को संवारता,

इसी द्वंद के बीच हूँ मैं,
न जानू भविष्य की काया,
चलता चला हूँ मैं बस,
शायद यही हो उसकी माया ||

Monday, September 26, 2016

आस


बस हवाओ से होती रही बातें,
कदम यह ज़मीन में कब रखे,
टकराया धरती से जो एक बार,
मॅन में अल्फ़ाज़ मैने तब रखे

इंद्रधनुष से दिखने वाले है जो,
बेरंग ज़िंदगी का ढंग वो रखे,
बरखा से मिलने जो मैं जाऊं,
जलते सूरज का संग वो रखे,

सपनों की सुंदर, उस नगरी से
कोसो दूर का रिश्ता, वो रखे,
कोई जो जाए, चंदा के पार,
न कोई ऐसा फरिश्ता, वो रखे,

इसलिए बस मौन ही रहता हूँ,
दिल की बात, दिल कब रखे,
हर तरफ है, मुखौटे ही मुखौटे,
दोस्त बनने की चाहत, कब रखे

समंदर से पूछ लेता हूँ अक्सर,
शांति की आस ये मन, कब रखे,
बंद है सब खिड़की और दरवाज़े,
रोशनी की आस ये तन, कब रखे ||

Sunday, September 25, 2016

दो पंक्तियाँ

किनारो सी है यह ज़िंदगी, खुशियाँ छूकर गुज़रती है,
हवाओं सी आती है हिम्मत, किरणों सी बिखरती है || Dr DV ||







लहर सी टकराई तू, मैं किनारो सा मौन रहा, बरसी बारीशों सी , न जाने मैं तेरा कौन रहा || Dr DV||







प्रचंड सागर में, एक नाव का सहारा था, ऐसा ही शायद कुछ, वो रिश्ता हमारा था || Dr DV ||








Friday, September 23, 2016

निकला


हर एक शब्द उसका तीर सा निकला,  
फूलों का वो हार, ज़ंज़ीर सा निकला 

वक़्त का खेल होता है बहुत निराला. 
कमज़ोर था जो, शमशीर सा निकला, 

ग़लतफहमी का तोहफा देने चला था,
खुशियों का पिटारा फकीर सा निकला  

समझा कहाँ उसने, दिल का अफ़साना,
दावा वो पत्थर की लकीर सा निकला 

तड़पने के बाद भी, गले से लगाया, 
                दोस्त वो मेरा 'साथी', पीर सा निकला || Dr. DV ||

इस रात में


ज़रूर कुछ बात है, इस रात में,
अनकहे जस्बात है, इस रात में,

छूकर गुज़री है साँसें तेरी हर्सू, 
एक तेरी बरसात है, इस रात में

छोड़ आया था अपनी परछाई,
बस वो एक रात है, इस रात में 

संभलते नही है एहसास मेरें,
भीगते लम्हात है, इस रात में 

शीशो से करता हूँ बातें 'साथी',
हज़ारों आघात है, इस रात में || 

Wednesday, September 21, 2016

बेईमान


जान थी वो मेरी, अंजान रही,
बिना कुछ बोले, परेशान रही,

पूछता रह गया अपनी ग़लती,
खुद के ख्यालो में जवान रही,

रात की तरह बिताती रही मुझे,
किसी दूजे का वो, सामान रही,

दिल के लगा के रखा था उसको,
मेरी ज़िंदगी में वो, मेहमान रही,

इश्क़ की बातें करती थी 'साथी',
दोस्ती करने में भी बेईमान रही ||

Friday, September 16, 2016

रात


सुबह से रात तक इंतज़ार किया,
चाँद तले बैठने को इनकार किया,

इश्क़ की दास्तान भी है अजीब,
उठकर जाने लगा, इकरार किया,

मुग्ध हुआ मैं पल में, जो देखा,
वर्षा ने इंद्रधनुष सा शृंगार किया,

यूँ मुस्कुरा उठा रोम-रोम मेरा, 
नज़रों से उसने, ऐसा वार किया 

भुला बैठा मैं खुद की हैसियत,
चाँदनी ने इस कदर प्यार किया 

रूह के संबंध को समझा 'साथी'
उस रात का जब भी दीदार किया || 

Thursday, September 15, 2016

समझो


इस गहरी रात को,
लहर की तरह समझो,
दिल की बात को,
कहर की तरह समझो,

अनंत चलती साँसें,
रुक जाएँगी एक दिन,
डर से घिरी इच्छाएँ,
झुक जाएँगी एक दिन,

जो रह जाएगी गर,
इस जहाँ में झूमती,
कहलाएगी वो छाप,
यहाँ से वहाँ घूमती,
तो फिर उठ और,
उठा दे हर इंसान को,
कर दे रंगीन, इस,
श्वेत आसमान को,

और सिखा जा,
इस डूबते जहाँ को,
मद मे हुए मदहोश,
हर एक जवां को

टूटते हर तारे को,
सहर की तरह समझो,
रिश्ते के ताने बाने को,
बहर की तरह समझो ||

Wednesday, September 14, 2016

ज़िंदगी


कुछ पल में मैने जाना,
कैसा बदलता है ठिकाना,

निकल पड़ते है आशिक़,
बस रह जाता है ज़माना,

हज़ार बातों की एक बात,
अश्को को न कभी छुपाना,

रंगो के बाग़ीचे मे खेलो,
दिल को ना कभी रुलाना,

समय मिले जो कभी यहाँ,
ज़िंदगी को अपनी सजाना,

मैं तो बहती नदी सा हूँ,
बातों मे ना मुझे फँसाना,

काँटों से जो हो नफ़रत,
कभी इश्क़ को न बुलाना

ज़िंदगी का अर्थ है 'साथी',


किसी भी रोते को हँसाना ||

Sunday, September 11, 2016

Full Circle


In the midst of the pain,
She cherished the rain,
The rainbow of success,
The sea and the terrain,

Life is just a full circle,
Human, bird or turtle,
She smiled at her fate,
So mysterious, so subtle

Wild dreams and wishes,
Rosy bed or thorny bushes,
The probability remains,
Stingy attitude, crushes,

Out of the blue, at times,
When the volcano rhymes,
The life takes a halt,
Mysterious wind chimes,

This is the pain she planned,
For him, to be rammed,
But, oh circle is a circle,
And now, she is cramped.


Tuesday, September 6, 2016

Destined (11 rhyming couplets)


The act of disguise is now life,
Some name it love, some, strife

But if you open up your soul,
People will judge your goal,

Leaving you torn and battered,
Your goals for them never mattered,

And when you will fall apart,
Their mockery will then start,

They will reflect their superiority,
Trying to prove the inferiority,

And at that time you should smile,
Leaving then dumbstruck in style,

Courageous lions keep hunting prey,
No effect of words, black or grey,

Small steps as per your own pact,
Little synergy will have, snowball effect,

And when the colored sky will shine,
Rosy rain of bliss will be your wine,

The cactus around will become gold,
They will preach, how they mold,

But today, you should be determined,
To write history, to be painted as destined...Dr. DV