Saturday, August 15, 2020

बरखा


प्रकृति से इश्क़ का शंखनाद है, 

मौन चित्त का वार्तालाप है,

हर बूँद में छुपा है एक राज़,

टूटे दिल का विलाप है,


सूखे होंठो की मुस्कान है,

बेघरो का एक मकान है 

कितने भाव घुले है इसमे,

एहसासो की जैसे ख़ान है,


खुशी से रोता आकाश है,

किसानो का विश्वाश है,

हज़ारों इच्छाए दिल में दबाए,

मन को करता भ्रमित, पाश है,


तड़पती रूह का इंतज़ार है,

कमसिन जवानी का प्यार है,

हज़ार रंगों का इंद्रधनुष,

नादानी का यह इज़हार है,


भीगते केशो का सूत्रधार है,

तन्हाई का यह मल्हार है,

आईना सा होता है प्रतीत,

जाने किस देव का व्यवहार है,


उलझनो का एक किनारा है,

अंधेरे का एक सितारा है,

अब तक समझ ना पाया कोई,  

इससे क्या रिश्ता हमारा है?