Thursday, December 31, 2015

सोच


रो रोकर, खुशियाँ भूल जाते है,
जानते है, कुछ ना कर पाते है,


ना किसी को, मरहम लगाया है,
हर तरफ पर गड्ढे दिखलाते है,


कुछ ऐसा टूटा विश्वाश खुद से,
विदेश जाकर, नसीहत लाते है,


अजब तमाशा है इस दुनिया में , 
अहंकार में, सबको समझाते है


खुद से जो ना बन पाए दिया, 
अंधेरो को वो रोशनी जताते है,


खुद से दाना नही बाँटा 'साथी',
            और खुदा को कमज़ोर बताते है || DV ||

Monday, December 28, 2015

आस


मैं इश्क़ के जो पास आया,
केवल उसका एहसास आया,


तारो की छाँव में बैठा मैं,
पसंद बस वो लिबास आया,


खुदा मुझसे हिसाब कर बैठा, 
उसका होना, ना रास आया,


लाख मनाया दिल को मैने,
छोड़कर ना वो वनवास आया,


आँसुओं से जन्मी थी 'साथी',
           छूंकर मैं, अब वो घांस आया  || DV ||

Thursday, December 17, 2015

आशिक़



तुम्हारे वास्ते ये गम उठाने वाला हूँ,
होंठो से अपने तुझको पिलाने वाला हूँ,

मदहोश होकर जीना ही तो है ज़िंदगी,
मैं यहाँ सबको मदहोश करवाने वाला हूँ,

सम्भल के रहना 'ए दिल' तू यहाँ ज़रा,
मैं अब उसको सपनो में बुलवाने वाला हूँ,   

क़ैद करने का हुनर रखते हो मुहब्बत को,
मैं आँखो में उसकी तस्वीर बसाने वाला हूँ,

पुराने पैंतरे तो सब पुराने हुए नाज़नीनो के, 

मैं मनचला आशिक़, नये ज़माने वाला हूँ || DV ||