अपनो के दुखड़े, चुभते है बहुत
सपनों के टुकड़े, दुखते है बहुत ||
मेरी पहचान को, मेरी पहचान रहने दो,
दुनिया जो भी कहती है, बस कहने दो ||
दो शब्द में उसने, ज़िंदगी कह दी,
खून से लिख कर, बंदगी कह दी ||
भूल से वो ज़ालिम, मुझे याद आ गयी,
जीना जैसे सीखा, उसके बाद आ गयी ||
अपनी खातिर वो, मुझे बदलने लगी,
बदलने जो लगा मैं, वो डरने लगी ||
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