Saturday, February 11, 2017

सपने का सपना


एक पल थम कर, 
मीलों की तैयारी है,
जैसे भी जीना चाहे, 
ज़िंदगी हमारी-तुम्हारी,

सूर्य की जलन हो,
या हो भंवरे की चंचलता,
समय है अंतहीन,
किसी के लिए नही रुकता,

मेरा सपना भी एक,
नन्ही ओंस के जैसा है,
सुबह का है उसको इंतज़ार,
ना जाने चंद्रमा कैसा है,

बस चलना सीख लिया,
रुके हुए रास्तों से उसने,
टूट कर जुड़ना सीख लिया,
भूल चुके वास्तों से उसने,

अपने वजूद की लड़ाई में,
तन्हा ही निकल पड़ा है,
होना या ना होना, है सवाल,
जवाब जाने कहाँ खड़ा है ||

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