Thursday, May 7, 2015

रख दूँगा



जो सोचेगी दर मेरे आने की तू रानी, चुन चुन के राहों में फूल रख दूँगा,
जो सपनो में लगी गले एक बार, असलियत का नाम फ़िज़ूल रख दूँगा,   
                   
क्या दुनिया सिखाएगी मुझको मोहब्बत, अंदाज़े बयान निराला है अपना, 
पूरी कायनात बिक जायें जितने में यहाँ, इतनी चमकती धूल रख दूँगा, 

बस एक नज़र देख ले तू मुझको, हर पल तुझे ही पाने की चाह रखता हूँ, 
बस तेरी एक मुकुराहट के वास्तें यहाँ, दान में मैं हर एक शूल रख दूँगा 

बस "मेरी तू" और "तेरा मैं" ही तो है, एक बार इस रूह को तू छू जा, 
तेरी वो परछाई ओढ़ लूँगा मैं सनम, तेरे आगे अपनी हर भूल रख दूँगा, 

जो डर है तुझको ज़माने का 'साकी', एक बार तो नज़रे मिला दे हमसे, 
ख़तरे की आहट भी जो हुई मुझे, भगवान के आगे भी त्रिशूल रख दूँगा| 

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