Saturday, October 24, 2015

इश्क़ (गज़ल)



आँखों में मेरी सपना, बस तेरा बसा है,   
तेरे लबो से दिल का, हर कतरा रंगा है,

कैसे किसी को देखूं जब तुझको ना भूला,
मेरी हदो में अब भी, रंग तेरा चढ़ा है,

ना आसमा से डर है, ना रब से है शिकवा,  
बस मुड़ के जो तू देखे, हर रत्न जड़ा है,

तेरा था जो यू आना, छुप छुप के ओ लैला,
हैरा हूँ कैसे जाना, मन मेरा अड़ा है,       

सुन 'साथी' जो तू छूले, हम मर के भी जी ले,
कुछ मुझमें अब यू तेरा, हक़ ऐसा गढ़ा है || DV || 
      

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