Tuesday, April 21, 2015

सपने तेरे वो लाई


चाँद चढ़े देखा जो तुझको,
नींद मुझे ना फिर आई,
रात मुझे जब भी छू गुज़री,
सपने तेरे वो लाई,

क्या सूरज, क्या आसमान था,
कैसे सुंदरता पाई,
भीषण गर्मी सहलाने को,
सपने तेरे वो लाई, 

भूल चुका था, समय रुका था,
हैरानी संग संग आई,  
पल पल नोचे सत्य मुझे पर,
सपने तेरे वो लाई, 

पूछूँ खुद से मैं ये पल पल,
क्यूँ तूने ली अंगड़ाई,   
सुबह के हर एक जगते पल मे,
सपने तेरे वो लाई,

होश नही था, दोष नही था,
जब धीरे से मुस्काई,
होंठो के बस हाव भाव से,
सपने तेरे वो लाई,  

दर्द निकट था, समय विकट था,
याद तेरी जब लहराई,
लाखो खंज़र सह डाले जब,
सपने तेरे वो लाई,       

दिल भी रोया, मैं भी रोया, 
तूने की जो रुसवाई,   
लेकिन फिर भी रोज़ रात को,
सपने तेरे वो लाई,   

आँखे दुर्लभ, साँसें दुर्लभ,
स्वर संगति यूँ पाई,
कर्कशता के बाग मे लाकर,
सपने तेरे वो लाई,

साँसे डूबी, बातें डूबी,
कब्र ही बस राहत लाई,
जीवन की सब अंतिम रातें,   
सपने तेरे वो लाई |     


   

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