आज फिर से वही बात हुई,
दिन सोचा था पर रात हुई,
दोस्त समझा था जिसको,
बोला, क्या तेरी औकात हुई,
मददगार इंसानियत जो ढूंढी,
ना समझा, क्या जात हुई,
जब गुजरा था अंधेरो से मैं,
वो मेहनत, मेरी सौगात हुई,
भगवान सा निकला वो 'साथी',
जाने कैसे उससे मुलाकात हुई ||
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