कुछ लोग इतने समझदार है,
जो उनकी ना माने गद्दार है,
बिन जाने बना डालेंगे पुल,
बातें उनकी जैसे मझदार है,
करने को समय नही है पास,
बोलें वो ऐसे जैसे ललकार है,
पुल बाँधने की ना है हिम्मत,,
नसीहतें पास उनके आपार है,
टूट चुके है पूरे, अंदर से देखो,
पर बोलने को वो, बेकरार है,
बातें करते है बढ़ने की आगे,
कदम जो उठाए, वो बेकार है,
करते हर बात का वो विरोध,
चुनी गयी ना उनकी सरकार है
मिर्ची की रखे ढेलिया वो 'साथी',
ज़ख़्मों का उनको. इंतज़ार है || Dr. DV ||
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