परिंदे सी कुछ उड़ान है,
आसमान मेरा मकान है,
ऐसा लगा है यह चस्का,
कोसो दूर अब थकान है,
देख हालात मेरे वो बोले,
ये एहसासो की दुकान है,
चाहे गुज़रों जिस गली से,
केवल धन का सम्मान है,
आगे बढ़ने की चाहत बाहर,
भीतर जहर का उफान है,
अजब ज़माना आया 'साथी',
यहाँ मुखौटो में भी जान है ||
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