कुछ लोग यहाँ भक्त है,
कुछ लोग यहाँ सख़्त है,
ज़मीन में बैठे है आज,
जिनके घर में तख्त है,
कुछ कर रहे है मदद,
जिनके सीने में रक्त है,
कुछ चलायें शब्दों के बाण,
जिनके पास बहुत वक़्त है
कैसा होगा देश वो 'साथी',
जिसकी बुनियाद सशक्त है || Dr. DV ||
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