बदलने के मिज़ाज़ के,
हम कायल हो गये,
परंतु इस बदलाव से,
कुछ घायल हो गये,
पुल बाँध डाले हमने,
आसमान तक छूते,
उनको लगा, पाँव से बँधी,
हम पायल हो गये,
बदलाव की बातें,
हज़ार करते है,
करने का वक़्त जो आए,
पानी भरते है,
सिखाने के लिए यहाँ,
आते है सब,
साथ देने के लिए, पर,
देखो वो मरते है,
कैसे फिर मैं सोचूँ,
कि बदलाव होगा,
स्वच्छ विचारो का,
मन में जमाव होगा,
जब एक ही नही है,
यहाँ इंसानियत,
फिर कैसे किसी से,
हमको लगाव होगा,
ऊँचे मीनारो में,
अक्सर तन्हाई होती है,
इश्क़ ना हो जहाँ,
रुसवाई होती है,
खुद से जो ना सीखे,
चलना दो कदम,
किस्मत में उनके,
बस जुदाई होती है,
तो चलो करे संकल्प,
एक हो जाने का,
मिटा कर हर लकीर,
संग खो जाने का,
कैसे कोई बाँटेगा,
देश को ऐसे,
जिसमें डर ही ना होगा,
रो जाने का ||
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