मेरे रास्तें, मेरी मज़िले, सब इश्क़ के अधीन है,
जो रहता है, मेरी रूह में,वो अक्स ही हसीन है,
ना आसमान है मेरा, ना है कोई समाज़ अब,
बस इश्क़ का, एहसास है, एहसास की ज़मीन है,
खबर नही, है आज की, ना अब कोई है वास्ता,
यह रोम रोम है मेरा, तेरे ध्यान मे ही लीन है,
मेरी इश्क़ की ज़ुबान को ,वो कह रहे है बावरा
यूँ सो रहा हूँ बेहिचक, हवा की बस ढकीन है,
हुआ तेरा यूँ 'साथी' अब, जो आँखो से यूँ छू लिया,
खबर तुझे है इश्क़ की, बस यह मुझे यकीन है || Dr. DV ||
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