तेरा मेरा साथ, बस एक पल का था,
इश्क़ में विश्वास, बस एक पल का था ||
जब हार के एहसास से तूने, मैदान छोड़ा था,
दो पल बाद दुश्मन ने, अपना हौसला तोड़ा था
जिस कब्र में देख, मेरा दर था,
उससे दो कदम मे, तेरा घर था ||
जो कल तक खुद को ग़रीब बोलते थे,
नोटबंदी में अब दर्द की दुहाई दे रहे है ||
बोलने को बहुत लोग आगे आए,
करने को वो आज भी पीछे रहे ||
फ़ैसला करने का हक़, तुझको है,
संग ना चलने का हक़, मुझको है ||
रास्तों को गुनगुनातें, जब देखा मैने,
मंज़िल से दूरी का भय, फेंका मैने ||
रास्तों को गुनगुनातें, जब देखा मैने,
मंज़िल से दूरी का भय, फेंका मैने ||
कल जो गले लगाने को आए,
आज नज़रे मिलाने को कतराए ||
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