Sunday, September 4, 2016

पहचान


क्या है जीवन, जान न सका,
कौन सा रास्ता, ठान न सका,

भगवन बसते है अब कहीं और,
इस सच्चाई को, मान न सका,

बैठा रहा, भोर के इंतज़ार में,
अंधेरों में सीना, तान न सका,

दरवाज़ो के पाए, लटकते चेहरे,
वो ग़रीब, बन मेहमान न सका

रखे हज़ारो खिलौने आस-पास,
पुतले में फूँक वो जान न सका,

आँसुओं के सागर में ऐसा डूबा
खुशियों से बना मकान न सका,

हज़ार रंग देखे दुनियाँ के 'साथी',
अपना रंग पर पहचान न सका || Dr. DV ||

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