Thursday, September 15, 2016

समझो


इस गहरी रात को,
लहर की तरह समझो,
दिल की बात को,
कहर की तरह समझो,

अनंत चलती साँसें,
रुक जाएँगी एक दिन,
डर से घिरी इच्छाएँ,
झुक जाएँगी एक दिन,

जो रह जाएगी गर,
इस जहाँ में झूमती,
कहलाएगी वो छाप,
यहाँ से वहाँ घूमती,
तो फिर उठ और,
उठा दे हर इंसान को,
कर दे रंगीन, इस,
श्वेत आसमान को,

और सिखा जा,
इस डूबते जहाँ को,
मद मे हुए मदहोश,
हर एक जवां को

टूटते हर तारे को,
सहर की तरह समझो,
रिश्ते के ताने बाने को,
बहर की तरह समझो ||

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