Wednesday, September 28, 2016

दो पंक्तियाँ

भूल से जब मुझको उसकी याद आई,
आँसुओं से भीगी वो मुस्कुराहट लाई ||




ज़िंदगी में जिंदा, ऐतबार देखा
उनकी आँखो में जो प्यार देखा ||




बस एक पल में ज़िंदगी जी गया,
बिन कुछ बोले जो क्रोध पी गया ||




देख पलट कर एक बार, मेरा समय रुका है,
सब कुछ सहा मैने, तेरा दर्द मुझमें दुखा है ||



रात ने मुझे, तेरे बारे में समझाया,

लोरी बोली तन्हाई, अंधेरे ने सुलाया ||  

No comments:

Post a Comment