किनारो सी है यह ज़िंदगी, खुशियाँ छूकर गुज़रती है,
हवाओं सी आती है हिम्मत, किरणों सी बिखरती है || Dr DV ||
लहर सी टकराई तू, मैं किनारो सा मौन रहा,
बरसी बारीशों सी , न जाने मैं तेरा कौन रहा || Dr DV||
प्रचंड सागर में, एक नाव का सहारा था,
ऐसा ही शायद कुछ, वो रिश्ता हमारा था || Dr DV ||
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