Sunday, October 30, 2016

दिवाली संग मनाओ,


ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ,

पटाखो के शोर से,
भर दो किसी की तन्हाई,
मिठाइयों की खुशुबू से,
हो किसी ग़रीब की भलाई,

ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ,

जगमगाती हो खुशियाँ,
इल्ज़ामो की न बात,
खेले कूदे हम संग-संग,
एक इंसानियत, एक जज़्बात,

ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ,

किसी के घर, जला एक दिया,
रौशन कर दो दिवाली,
न भूले अच्छाई वो कभी,
बढ़ती रहे मदद, डाली डाली,

ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ,


भूलकर सब अंतर अपने,
सपने कुछ तो संग सजाओ, 
ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ,

ये दिवाली संग मनाओ,
चाहे जिस भी ढंग मनाओ |   

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