बहुत मुद्दतो के बाद चमत्कार हुआ,
उन मोहतार्मा को मुझसे प्यार हुआ,
छुई जो आँखो से उसकी मुस्कुराहट,
एक पल मे रौशन, मेरा संसार हुआ,
जो अपनी परछाई का भी न था,
जाने कैसे, एक परी का यार हुआ,
तन्हाई का आदी हो चला था मैं,
चाँदनी रात में चाँद से इकरार हुआ,
कभी निकल जाती थी, नज़रे चुराए,
न जाने कैसे अब उनसे करार हुआ,
पराकाष्ठा हुई हैरानी की, रूह को,
रेगिस्तान में कैसे जीवन संचार हुआ,
खुदा के सब खेल निराले है 'साथी'
जाने कैसे इश्क़, बंदे का शिकार हुआ || Dr. DV ||
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