आसमान की सैर कर,
घर पहुँचा वो तैर कर,
चालीस साल की दूरी का,
गुरूर था उसे अमीरी का,
आहट पर न आँखे थी,
सूनी सारी बातें थी,
हैरानी में डूब गया वो,
तन्हा काहे छोड़ गया वो,
बूढ़ी आँखे खोल न पाया,
पैसो ने न साथ निभाया,
अश्रु की फिर नदी बहाई,
साँसे पर वापस न आई || Dr DV ||
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