Thursday, October 13, 2016

न पूछो


वो अंधेरे को पीर दे गया,
एक प्यासे को नीर दे गया, 
जाने कहाँ से आया था वो,
भूखा रहा, मुझे खीर दे गया,

मेरे होंठो में मुस्कान आई,
बेबस मुख पर, ज़ुबान आई,
आँखो ने देखा नया सवेरा,
कमज़ोर शरीर मे जान आई,

न जाने कहाँ से आया था वो,
इस जहाँ ने कैसे पाया था वो,
मैने तो देखे थे केवल कांटें,
इस आग मे कैसे समाया था वो,

दिल में आभास जगा गया,
अच्छाई की आस जगा गया,
कालिख सी दिखती दुनिया में,
प्रेम की जगह ख़ास जगा गया, 

अब हर मर्ज़ का बाम न पूछो,
इस कलयुग मे, राम न पूछो,
मीठी छुरियाँ है बैठी चहुँ ओर,
कौन है वो, सरेआम न पूछो ||

1 comment:


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