Thursday, October 30, 2014

स्वप्न सलोना


आँसू टपका था आँख से,
जो मन पिघला के ले गया,
तेरी भीनी सी खुश्बू से,
वो दिल धड़का के ले गया,

तेरा चेहरा यूँ दिखाकर वो,
नींदे उड़ाकर ले गया,
चूड़ी तेरी खनका के वो,
मेरा चैन चुरा के ले गया,

मुस्कान तेरी समझा के वो,
खुश्बू जहाँ की दे गया,
छन से छनकाती पायल से,
एहसास तेरा ही दे गया,

मैं तो बस जैसे प्यासा था,
रस-रंग तेरा वो दे गया,
वो स्वप्न सलोना तेरा था,
गम में भी खुशियाँ दे गया   
         

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