चाहतो की बारिशो में गर गम नही होते,
रंजिशो के समन्द्रो में डूबे हम नही होते,
पा लेते आस्मा एक दिन ज़रूर खोते खोते,
आँसुओं की भूल भुलैया में गर गुम नही होते,
कैसे जीते ये जिंदगी नीरस और बेजान,
साथी हमारे हर पल गर तुम नही होते,
अपना जस्बा-ए-इश्क़ ना समझे वो ज़ालिम,
वर्ना किसी और के आज सनम नही होते,
हम तो आँसू छुपा के जी लेंगे 'ए-दोस्त',
ज़िंदगी मे गॅमो के मौसम कम नही होते ||
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