Tuesday, August 26, 2014

प्रेमिका


तेरे प्रेम के आँचल मे,
सर रख कर सोया था,
स्वर्णिम सपनो को तेरे,
अपनी पलको पर पिरोया था,

खोया था तेरी यादों मे,
सुनहरे तारो की छाया मे,
दिल कुछ मेरा फँसा था ऐसा,
तेरी खूबसूरती की माया में,

लबो की वो बरसती बूँदो से,
मेरा मन अब तक भीगा था,
सांसो की चुभन ना भूला,
मुस्कुराहटो से तेरी महकता मेरा बागीचा था,     

सूर्य की किरणो सी चहकती,
गालो की जो लाली थी तेरी,
धुल चुकी थी मेरे अश्को से,
किस्मत को जगाती सी मेरी,      

इस कदर भा गयी थी,
खुश्बू तेरी मुझको ए "मेरी परी" 
छुअन तेरी एक पाने को,
बलवती थे मेरे एहसास हर घड़ी.
        

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