चल चला चल, तू अकेले,,
अपने ना यहाँ तेरे है,
सूरज ना जलता है अब,
सपने यहाँ अंधेरे है,
साथ तेरा जो कोई देदे,
बदले में माँगे वो जान,
खुद के सपने पाए जो,
पाएगा तू बस अपमान,
हर कोई समझाएगा अब,
क्यों होते सपने, सपने,
पर जो एक पल तुझको देदे,
समझ तू उन सब को अपने,
अंधो की बस्ती है अब ये,
पैसा केवल दिखे महान,
साथ तेरे सपनो का तू रख,
पैसा ही बस है विद्वान,
मेहनत जो धन को पा जाए,
केवल वो मेहनत कहलाए,
लाख घिसो तुम पल पल प्यारे,
तन्हा सपने रह जायें |
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