Saturday, April 11, 2015

रोती किताब

 
हाल पे किसके रोए वो,
जो बेचे या जो बिक जायें,
कहती है धन्यवाद उन्हे,
लिख लिख जो आधे हो जायें,

है दिखती जो अब नन्ही सी,
क्या बोलेगी इस दुनिया को,
पाकर अमृत भी देवो ने,
आख़िर ना देखा मुनिया को,

खुद को रंगते रंगते जालिम,
ऐसे बदले कुछ रंग उनके,
जिसको जन्म दिया था कल,
तोड़े सारे सपने उसके,

अब अंधेरो मे रहती है,
मालिक को देखे सोने में,
जिसने जीवन फिर लहराया,
अब फेका उसको कोने में, 

किसको बोले दिल की बाते,
जिसने पाया वो मुस्काया,
इंसान रहा फिर भी इन्सा,
खुद से आगे ना बढ़ पाया |

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