किसी से हुई ग़लती,
किसी की सज़ा हुई,
किसी के हुए आँसू,
किसी का मज़ा हुई,
अनगिनत बार बोला,
पर नादान ना समझा,
अपने घर का शायद,
वो, मान ना समझा,
घूम रहा है जानकर,
शायद तबाई मचाने को,
जाने किसको आना पड़े,
अब इसको समझाने को,
आज़ादी के नाम पर,
अब बीमारी फैलाना है,
शायद अपनो को ही,
शमशान पहुचाना है,
सफाई का महत्व देखो,
आज सामने है आया,
रास्ते में थूकता था जो,
आज सैनीटाइजर लाया,
जुड़ी हुई है यह दुनिया,
अकेलापन नही सोचना है,
इस बीमारी ने समझाया,
खुद ने खुदको रोकना है,
इससे निकल कर अब,
शायद हम समझ जाए,
दूर होने की जगह अब,
एक दूजे के पास आए,
कोरोना का अब अंत,
अत्यंत ज़रूरी है हुआ,
सब मिलकर करे ख़ात्मा,
बस यही है मेरी दुआ ||
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