Thursday, March 26, 2020

एहसास नही


चलना सिखाया था जिसने, आज उसके पास नही, 
आज अलमारी में ढूँढा, मिला उसका लिबास नही,

कभी घंटो-घंटो बैठा रहता था मैं उसके ही साथ, 
जबसे सीखा है मैने बढ़ना, रुकने की आस नही,

प्यास बढ़ा ली है इस जीवन में, कुछ इतनी मैने, 
पीना सिखाया था जिसने, आज उसकी प्यास नही   

चाहतों के बल पर ही पाई है, बहुत मंज़िलें यहाँ, 
आज भी छुपी है अनगिनत, पर वो प्रयास नही,

जाने क्या खोया है मैने बढ़ते हुए आगे 'साथी',  
पाए बहुत मुकाम, पर रहा अब कोई एहसास नही ||  

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