Thursday, September 26, 2019

भंवर


एहसासो को पिघलाकर, एक रात बनाई,
लालच मन में छुपाकर, एक बात बनाई,

जब कर ना पाया, मैं खुद से ही दोस्ती,
दुश्मनो से खुद को बचाने , जात बनाई,

सहम जाता था, वो आँखे देखकर अक्सर,
बंदी ना बना सका उसको, बारात बनाई,

खुद पर भरोसा करना, ना सीख सका मैं,
पीठ पर खंजर चलाने की, सौगात बनाई,

इस कदर फँसा खुद ही भंवर में 'साथी',


बनाने चला था मैं चाँद, बिसात बनाई || Dr DV ||

No comments:

Post a Comment