बहुत लंबा है यह सफ़र, मंज़िल शायद खफा है,
मेरी ही किस्मत में शायद, इंतज़ार हर दफ़ा है || Dr DV ||
इस जलती धूप में देखो, हर अंग पल-पल जलता है,
जाने किसे महफ़िल में, मेरा ढंग पल-पल खलता है || Dr DV ||
बिन बोले वो सब बोल गयी, आखों से राज़ वो खोल गयी,
बस मुग्ध रहा मैं पगला सा, पल में वो रिश्ता तोल गयी || Dr DV ||
No comments:
Post a Comment