Monday, September 23, 2019

दो पंक्तियाँ



बहुत लंबा है यह सफ़र, मंज़िल शायद खफा है,
मेरी ही किस्मत में शायद, इंतज़ार हर दफ़ा है || Dr DV ||






इस जलती धूप में देखो, हर अंग पल-पल जलता है,
जाने किसे महफ़िल में, मेरा ढंग पल-पल खलता है || Dr DV ||







बिन बोले वो सब बोल गयी, आखों से राज़ वो खोल गयी,
बस मुग्ध रहा मैं पगला सा, पल में वो रिश्ता तोल गयी || Dr DV ||

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