धरती की तरह उसने, जन्म दिया था,
माँ ही थी वो जिसने, कत्ल किया था,
अद्बुध दुनिया की कहानियाँ, अद्बुध,
न जाने कौन सा विष उसने पिया था,
अनेक राज़ दबे है हर चाँदनी के तले,
न जाने किस पाप का बदला लिया था,
घनघोर अंधेरे में रहती थी सदियों से,
फिर भी कैसे बुझाया उसने दिया था,
बस एक बात कोई देख न सका 'साथी'
अपने दर्द को उसने हर रोज़ सिया था || Dr. DV|||
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