दो पल की ज़िंदगी में, एक तकरार का,
दूजा जो रह गया, वो पल है इकरार का,
कैसे कह दूं मैं, कि इश्क़ है मुझको तुमसे,
दुनिया का डर नही, डर है तो इनकार का,
ढूँढे मेरी अखियाँ, तेरे रूप की छाया हर्सू,
कैसे उतारू क़र्ज़, तेरी पायल की झंकार का
बाँधा है खुद को मैने, जुदाई के पल में,
ज़हर पिया ना जाए, अब तेरे इंतज़ार का,
गले से लगा बस, मुझको एक बार 'साथी'
स्वाद मैं भी तो चख लू, अपने प्यार का || Dr. DV ||
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