कुछ लम्हें ठहर जाते है, केवल इंसान नही ठहरते,
रुक जाती है साँसे अक्सर पर विमान नही ठहरते,
मैं तो हूँ बंजारा, ना इश्क़ करता हूँ, ना ही नफ़रत,
खो जाती है मंज़िलें, पर जो है महान, नही ठहरते,
समझने मे ज़ाया ना करो वक़्त, बस चलते चलो,
कहते है बड़ी होती है जिनकी ज़ुबान, नही ठहरते,
हिम्मत का तोहफा नही देता खुदा हर किसी को,
तूफान में बंद कर देते है जो दुकान, नही ठहरते,
मैं खुद से ही इश्क़ ना कर पाया अब तलक ‘साथी’,
कर जाते है कुछ पलों में इश्क़ जो, नही ठहरते ||
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