छुप-छुप कर वो दीदार करते थे,
सामने आए तो तकरार करते थे,
शर्माकर पलट जाते थे अक्सर,
दिल जाने, हमसे करार करते थे,
मन में दबाए रखते थे इच्छाए,
होंठो से ना कभी प्रचार करते थे,
कैसे होता है कोई घायल पल में,
संग हमारे बैठ, विचार करते थे,
फँस गये वो एक दिन जब पाया,
हमारा हर रोज़ इंतज़ार करते थे,
मुस्कुराकर समझाया उसे 'साथी'
हम भी उन्ही से प्यार करते थे ||
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