भगवान को दुकान बना डाला है,
दुआओं को मकान बना डाला है,
ऐसे ताले पड़े है अक्ल में अपने,
खुशियों को मेहमान बना डाला है,
विश्वाश की खोखली बातें करते,
खराब गले को तान बना डाला है,
पैसे का नशा चढ़ा है इस कदर,
लालच का विमान बना डाला है,
ऊँची इमारतो में रहते है पर,
जलन को सम्मान बना डाला है ,
प्रेम की कैसी पीढ़ी आई है यह,
तन हवस का सामान बना डाला है,
हैरान हूँ आज देखकर मैं 'साकी'
इंसान को भी हैवान बना डाला है ||
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