उनको लगा हम पल में, मशहूर हो गये,
इसी चक्कर सब हमसे देखो दूर हो गये,
हम अब तलक ना समेट सके यह हैरानी,
और वह जैसे सदियों के, मजबूर हो गये,
कभी एक पल की दूरी भी गवारा ना थी,
जाने कब कैसे, शेर से हम लंगूर हो गये,
हमने बनाए सुनहरे तख्त दोस्तो के लिए,
उनको ही लगा हम मद मे चूर हो गये,
कैसे समझाए हम दुनिया को अब 'साथी',
इंसानी मुखौटे अनगिनत अब हज़ूर हो गये ||
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