Dr. Diwakar Pokhriyal has a passion for Writing. He has written 19 books that include poetry, short story collections, and Novel. He has been a part of more than 100 poetry anthologies with poets around the world. He has been awarded as 'Voice of Indian Literature', 'Author of the Year 2019', 'India Star Icon Award 2019', 'Top 50 Influential Author 2K18', 'Limca Book of Records – 2017',
Monday, June 11, 2018
Sunday, June 10, 2018
हो गये
उनको लगा हम पल में, मशहूर हो गये,
इसी चक्कर सब हमसे देखो दूर हो गये,
हम अब तलक ना समेट सके यह हैरानी,
और वह जैसे सदियों के, मजबूर हो गये,
कभी एक पल की दूरी भी गवारा ना थी,
जाने कब कैसे, शेर से हम लंगूर हो गये,
हमने बनाए सुनहरे तख्त दोस्तो के लिए,
उनको ही लगा हम मद मे चूर हो गये,
कैसे समझाए हम दुनिया को अब 'साथी',
इंसानी मुखौटे अनगिनत अब हज़ूर हो गये ||
दर्द
तुझसे दूर नही जा सकता,
तेरे करीब नही आ सकता,
जाने किस दुनिया में डूबा,
खुद निवाला नहीं खा सकता,
हवाओं ने कर दिया कमज़ोर,
अब तेरे गीत दिलनहीं गा सकता,
लिपटी है तेरी यादें बदन से,
पर एहसास, नही ला सकता,
तोड़ा है इश्क़ ने ऐसा 'साथी',
दिल कहीं चैन नही पा सकता ||
Thursday, June 7, 2018
तन्हा
अपने पैरों में देखो, खड़ा हूँ,
सपनो की ज़िद में, अड़ा हूँ,
हर कोई नही जाता इस राह,
इसलिए लगे, तन्हा पड़ा हूँ,
नही उगता एक ही दिशा मैं,
उनको लगे जैसे, मैं सड़ा हूँ,
समझने वाले दिल है कहाँ,
तिल-तिल मरता, जंग लड़ा हूँ,
डर नही लगे अंधेरो से 'साथी',
जाने किस मिट्टी का घड़ा हूँ ||
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