रह गया सब प्यार, मकानो में,
बिकते है अब ईमान दुकानो में,
किस ज़माने मे जी रहा है तू,
ज़िंदगी बीते यहाँ तयखानो में,
भूल से भी नही आती है याद,
मिठास मिलती है मयखानो में,
गिरावट आई है सोच में इतनी,
हँसते है लोग यहाँ, थकानो में
हैरानी न पाल देख दुनिया 'साथी'
पैदा होते है इंसान, ज़मानो में || Dr.DV ||
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