‘मम्मी ये क्या है’ ड्व ने पूछा.
‘बेटा ये भगवान की तस्वीर है’ ड्व की मम्मी बोली.
‘भगवान क्या होते है’ ड्व बोला.
‘भगवान वो है जो सबका ध्यान रखते है’ ड्व की मम्मी ड्व को कमीज़ पहनाती हुई बोली.
‘अच्छा? सबकी?’ ड्व बड़ी बड़ी आँखे करता हुआ बोला.
‘हां बेटा, सबकी’ ड्व की मम्मी मुस्कुराइ और ड्व खिड़की की तरफ भागा.
‘अरे ये क्या है’ ड्व ने देखा कुछ लोग एक मुर्दे को कंधे पे उठा कर ले जा रहे है.
‘बेटा, जो लोग बहुत ज़्यादा
परेशान होते है, उनको भगवान अपने पास बुला लेते है और फिर सब ठीक करके उनको वापिस भेज देते है’ ड्व की मम्मी ने ड्व को पकड़ा और तैयार करने लगी.
‘अच्छा, भगवान तो कमाल के है फिर’ ड्व बोला और ड्व की मम्मी को हँसी आ गयी.
‘भगवान सबकी सुनते है क्या?’ ड्व ने पूछा.
‘हां बेटा, जो भी सच्चे दिल से भगवान से माँगता है उसको मिलता है’ ड्व की मम्मी ड्व के बाल बनाते बनाते बोली.
‘अरे, अब ये सच्चा दिल क्या होता है’ ड्व मम्मी की तरफ मुड़ता हुआ बोला.
'बेटा, सच्चे दिल का मतलब है, जब कोई किसी की मदद के लिए प्रार्थना करता है, तो भगवान सुन लेते है’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व के कंधे में बस्ता दे दिया.
‘अच्छा और बुरे लोगो का क्या?’ ड्व पूछा.
‘बुरे लोगो की भगवान नही सुनते. अभी स्कूल जाओ, जब वापिस आओगे तो बाकी बातें तब’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व भाग कर पापा के पास पहुचा.
‘ओह, हीरो तैयार हो गया’ ड्व के पापा मुस्कुराते हुए बोले.
‘हां, चलो चलो’ ड्व नाचता हुआ पापा के पास आया.
‘चल चल वरना स्कूल के लिए देरी हो जाएगी’ ड्व के पापा बोले और ड्व स्कूटर की तरफ भागा.
‘बाइ बाइ’ ड्व की मम्मी ने ड्व को स्कूल जाते देख कर विदा किया.
‘बाइ बाइ’ ड्व स्कूटर की ड्राइविंग सीट के आगे खड़े होकर अपने स्कूल निकल पड़ा.
थोड़ी देर बाद ड्व के पापा ड्व को स्कूल पहुँचकर
वापिस आ गये.
‘आ गये आप’ ड्व की मम्मी बोली.
‘हन यार, पूरे रास्ते शैतान ने नाक में दम कर दिया’ ड्व के पापा बोले.
‘क्या? भगवान के बारें में सवाल पूछ रहा था?’ ड्व की मम्मी हँसी.
‘नही, जो भी रास्तें
में दिख रहा था उसके बारें में’ ड्व के पापा बोले.
‘अरे बच्चा है’ ड्व की मम्मी ड्व के पापा के कंधे में हाथ रखते हुए बोली.
‘बच्चा तो है लेकिन बहुत शैतान है. अगर कुछ ना बताओ तो बस नाक में दम कर देता है’ ड्व के पापा हँसे.
‘इस वजह से ही तो सबका मन भी लगा रहता है’ ड्व की मम्मी मुस्कुराइ.
‘हां वो तो है. छठी कक्षा में साहब का ये हाल है, पता नही अगर इसके सवाल ऐसे ही चलते रहे तो भगवान ही बचाए हमको’ ड्व के पापा बोले और दोनो हँसने लगे.
‘आप तैयार हो जाओ, आपको ऑफीस नही जाना क्या’ ड्व की मम्मी ने पापा को याद दिलाया.
‘अरे हां, इस शैतान के चक्कर में पड़ा रहा तो ऑफीस भी नही जा पाऊँगा’ ड्व के पापा बोले और तैयार होने जाने लगे.
‘याद है ना कल उसके स्कूल में क्रिस्मस का प्रोग्राम है’ ड्व की मम्मी बोली.
‘हां, मैं तो ऑफीस में रहूँगा.
तुम जाना ज़रूर और वीडियो बना देना ताकि मैं भी देख लू’ ड्व के पापा बोले और ड्व की मम्मी ने हामी भारी.
अगले दिन ड्व के स्कूल में क्रिस्मस का कार्यक्रम हुआ. ड्व सेंटा क्लॉज़ बना हुआ था और सबको गिफ्ट बाँट रहा था. ड्व की मम्मी ने ड्व की ढेर सारी फोटो खीची. हर बच्चा अपना अपना किरदार बखूबी निभा रहा था. सभी को पूरा कार्यक्रम बहुत पसंद आया. कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार करने वाली अध्यापिका की सब ने सराहना की और बच्चो के सफल भागीदारी की भी.
शाम को ड्व के पापा घर आए तो ड्व ने पापा को अपनी फोटो और वीडियो दिखाई.
‘ओहो, सेंटा क्लॉज़ तो बड़ा बढ़िया है’ ड्व के पापा ड्व को देख कर बोले और ड्व को हसी आ गयी.
‘देखो तो कितना फुदक रहा है बंदर की तरह’ ड्व की मम्मी पीछे से आती हुई बोली.
‘आप मुझे बंदर क्यूँ बोल रही हो’ ड्व गुस्से से बोला.
‘अरे हाँ, मेरे बच्चे को बंदर मत बोलो, लाल बंदर बोलो’ ड्व के पापा बोले और दोनो हँसने लगे’
‘मैं बंदर नही हूँ’ ड्व और वहाँ से भागा.
‘मेरे बंदर को पकडो’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व के पापा ने भाग कर ड्व को पकड़ लिया.
‘अच्छा अच्छा, नही है तू बंदर’ ड्व के पापा बोले और ड्व कुछ शांत हुआ.
‘अच्छा एक बात बताओ, सेंटा क्लॉज़ भगवान होता है क्या’ ड्व ने पूछा.
‘किसने बोला’ ड्व की मम्मी पापा हैरानी से बोले.
'नही आप बताओ' ड्व ने ज़ोर दिया.
‘सेंटा क्लॉज़ भी भगवान का भेजा हुआ ही एक फरिश्ता
है, जो सब बच्चो की इच्छा पूरी करता है’ ड्व की मम्मी ड्व के कपड़े बदलती हुई बोली.
‘ मेरी भी करेगा?’
ड्व चहकते हुए बोला.
‘हां बेटा क्यूँ नही करेगा’ ड्व के पापा बोले.
‘लेकिन मैं उनको कैसे बताऊं’ ड्व ने मम्मी से पूछा.
‘आसान है, एक कागज पर लिखो और सोते समय अपने तकिये के नीचे रख दो’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व के पापा को हसी आ गयी.
‘बस इतना ही’ ड्व हैरान हुआ.
‘और क्या, हां लेकिन केवल क्रिस्मस से एक दिन पहले की रात को ही’ ड्व की मम्मी हँसी और किचन में खाना लेने चली गयी.
‘अरे वो तो आज ही है’ ड्व बोला और पापा के साथ टीवी देखने बैठ गया.
अगले दिन ड्व के मम्मी पापा ड्व को घुमाने ले गये और उसको झूले झुलाए और आइस-क्रीम खिलाई. पूरे दिन तीनो ने खूब मस्ती की. शाम को घर आकर तीनो सो गये.
‘उठ बेटा स्कूल नही जाना क्या’ ड्व की मम्मी ड्व को उठाती हुई बोली.
‘सोने दो ना’ ड्व आँखे मलता हुआ बोला.
‘छुट्टी ख़त्म हो गयी, आज स्कूल जाना है’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व को उठाया.
‘अरे हाँ’ ड्व बोला.
ड्व स्कूल से वापिस आया तो कुछ ढूँढ रहा था.
‘क्या ढूँढ रहा है’ ड्व की मम्मी हैरानी से बोली.
‘कुछ नही’ ड्व बोला.
‘अच्छा ठीक है, चल खाना खा ले’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व खाना लेकर कार्टून देखने लगा.
तभी ड्व की मम्मी का फोन बजा.
‘हेलो, क्या कर रहा है हीरो’ ड्व के पापा ड्व की मम्मी से बोले.
‘कुछ ढूँढ रहा है’ ड्व की मम्मी हस्ती हुई बोली.
‘ढूँदने दे शैतान को, हमको सवाल पूछ पूछ कर परेशान करता है ना, आज इसको भी थोड़ा सा परेशान होना चाहिए’ ड्व के पापा बोले और ड्व की मम्मी हँसने लगी.
थोड़ी देर बात करने के बाद ड्व की मम्मी ने फोन रख दिया. जब वो अंदर आई तो देखा की ड्व अभी भी कुछ ढूँढ रहा था.
‘अच्छा, क्या ढूढ़ रहा है, बता बता’ ड्व की मम्मी बोली.
‘अरे वो सेंटा क्लॉज़ गिफ्ट कहाँ भेजते है’ ड्व भोली सी सूरत बना कर बोला.
‘तुमने अपना पता लिखा क्या?” ड्व की मम्मी बोली.
‘लेकिन वो मुझे तो जानते होने ना, तो यही भेजेंगे’ ड्व बोला.
‘हां तो हो सकता है आ रहा हो’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व को थोड़ी राहत मिली.
‘अच्छा ये कौन है’ ड्व चॅनेल बदलता हुआ बोला.
‘बेटा ये तो सिपाही है, जो हम सबकी रक्षा करते है अपनी जान की बाज़ी लगा कर’ ड्व की मम्मी ने समझाया.
‘लेकिन आपने तो बोला था की बस भगवान ही ऐसा कर सकता है’ ड्व पिछली बातें याद करता हुआ बोला.
‘बेटा भगवान अपने पास से कुछ बहुत ही अच्छे लोग भेजता है जो दूसरो को बचाते है. कभी कभी बचाते बचाते वो खुद मर जाते है’ ड्व की मम्मी बोली.
‘खुद मर कर वो दूसरो को बचा लेते है’ ड्व हैरानी से बोला.
‘हां बेटा, जो अच्छे लोग होते है, वो किसी को ज़िंदगी
देने के लिए मौत ले लेते है’ ड्व की मम्मी ने समझाया.
‘मौत क्या होती है’ ड्व ने पूछा.
‘जब लोग ज़्यादा
परेशान होते है तो भगवान उनको अपने पास बुला लेता है, उसको बोलते है’ ड्व की मम्मी बोली.
‘तो, ये उसको भी पलट देते है’ ड्व हैरानी से बोला.
‘हां, जो भी अच्छे लोग होते है वो ऐसा कर सकते है, फिर भगवान परेशान लोगो को अपने पास नही बुलाता क्योकि वो अच्छे लोग चले जाते है उनकी जगह और वो परेशान लोग अच्छे हो जाते है’ ड्व की मम्मी बोली और ड्व फिर से अपना कार्टून देखने लगा.
शाम को ड्व के पापा ऑफीस से आए और अपने कमरे में आराम करने लगे. ड्व अभी भी बार बार दरवाजे की तरफ देख रहा था.
‘अब इतना भी ना परेशान ना करो बच्चे को’ ड्व की मम्मी कोहनी मारती हुई बोली और ड्व के पापा हँसने लगे.
‘अरे ये एक गिफ्ट मिला है मुझको बाहर, किसका है ये’ ड्व के पापा ज़ोर से बोले और ड्व भगा भगा पापा के पास आया.
‘अरे ये तो मेरी मॅजिक पेन्सिल है’ ड्व खुशी से नाचता हुआ बोला और पापा के हाथ से पेन्सिल
लेली.
‘अच्छा तो इसका इंतेज़ार हो रहा था’ ड्व की मम्मी ड्व को देखते हुए बोली.
‘और तो भगवान मेरी बात क्यूँ नही मानते, उन्होने
ही सेंटा क्लॉज़ को ये पेन्सिल दी होगी मेरे पास लाने के लिए’ ड्व बोला और नाचता नाचता अपने कमरे में भाग गया.
‘इस शैतान का क्या करें’ दोनो हस्ते हस्ते अपने अपने काम में लग गये.
ऐसे ही समय मस्ती में कट रहा था. लेकिन जीवन में हमेशा खुशी भी कहाँ रहती है, ठीक 11 महीने के बाद ड्व के पापा का भयानक आक्सिडेंट हो गया और उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया. ड्व के चाचा, चाची और रिश्तेदार भी अस्पताल में पहुचे.
‘डॉक्टर क्या हाल है’ ड्व की मम्मी रोते हुई बोली.
‘कुछ नही कह सकते, भगवान के ऊपर है सब’ डॉक्टर बोला.
ड्व की चाची ड्व के साथ घर में रहती और ड्व को देखती थी. ड्व की मम्मी रात में ड्व के पास रहती और सुबह और दिन को ड्व के पापा के पास अस्पताल
में. ड्व के चाचा भी ऑफीस से आने के बाद अस्पताल में रहते थे.
अपने पापा को अपने पास अक्सर ना पाकर, ड्व थोड़ा उदास रहता था. वो अक्सर मम्मी या चाची से पूछता परंतु दोनो ही बोलते की पापा कुछ काम से बाहर गये है.
अगले दिन क्रिस्मस था और ड्व पापा के आने के लिए ज़िद कर रहा था. ड्व गुस्से में कार्टून देखते चला गया. थोड़ी देर में ड्व बाहर की तरफ वापिस आया तो देखा की उसकी मम्मी और चाची बात कर रही थी. ड्व छुप कर उनकी बातें सुनने लगा.
‘आप डरिये नही, सब ठीक हो जाएगा’ ड्व की चाची बोली.
‘मुझे डर लग रहा है, यह चौथा हफ़्ता चल रहा है, अभी तक हालात वैसे ही है’ ड्व की मम्मी बोलते बोलते रोने लगी.
‘आप हिम्मत मत हारो, भगवान ज़रूर सब ठीक कर देगा’ चाची ने ढाँढस बंधाने की कोशिश की.
‘ड्व को भी कब तक झूठ बोलती रहूंगी,
कही उसके सामने रोने लग गयी तो उसको भी डर लगेगा’ ड्व की मम्मी बोली.
‘आप ड्व की चिंता मत करिए, मैं हूँ ना यहाँ उसको कोई परेशानी
नही होगी’ ड्व की चाची ने ड्व की मम्मी को गले लगाया.
ड्व भाग कर वापिस अपने कमरे में गया और उसको लगा की शायद पापा कुछ ज़्यादा
ही परेशानी में है, वरना मम्मी क्यूँ रोती और वो इतने दिनो से उससे दूर कैसे रहते.
अगले दिन क्रिस्मस था तो ड्व को ड्व की मम्मी और चाची बाहर ले गयी. ड्व ने पापा के ना आने का गुस्सा किया लेकिन ड्व के चाचा, चाची और मम्मी ने समझाया की वो जल्दी आ जाएँगे.
क्रिस्मस के अगले दिन ड्व जैसे ही स्कूल से घर आया तो देखा की चाची ही घर में है.
‘पापा नही आए’ ड्व ने अंदर आते ही पूछा.
‘पापा? नही तो बेटा’ चाची थोड़ी हैरान हुई.
ड्व दिन से लेकर शाम तक बार बार दरवाजे पर झाँकता रहा.
‘क्या हुआ इसको’ ड्व की चाची उसका उतावलापन देखते हुए हैरान थी.
तभी दरवाज़े
पर दस्तक हुई.
‘पापा’ ड्व चिल्लाया भाग कर दरवाज़े के पास गया.
‘अरे मम्मी होंगी’ ड्व की चाची बोली और दरवाज़ा खोला तो वो हैरान रह गयी.
‘पापा आ गये’ ड्व मुस्कुराता हुआ बोला.
‘तो अपने ड्व से इतने दिन कैसे दूर रहते’ ड्व की मम्मी बोली.
‘लेकिन मैं तो यही हूँ’ ड्व हैरान होता हुआ बोला.
‘तो तुझे कहाँ जाना था’ ड्व की मम्मी हैरान थी. ‘चल अब पापा के पास जा, लेकिन उनको ज़्यादा परेशन मत करियो’ ड्व की मम्मी बोली.
‘यस’ ड्व चहकता हुआ पापा के गले लग गया.
ड्व की हैरानी लेकिन ड्व की मम्मी को समझ नही आई.
‘क्या हुआ?’ ड्व की चाची ड्व की मम्मी को हैरानी की मुद्रा में देख कर बोली.
‘कुछ नही’ ड्व की मम्मी बोली.
‘चलो अब तो बस बेड रेस्ट है 3-4 महीने का’ ड्व के चाचा बोले.
‘भगवान का लाख लाख शुक्र है, क्रिस्मस के दिन से ही हालत सुधरनी शुरू हुई और 1 दिन में घर भी आ गये’ ड्व की मम्मी हाथ जोड़ते हुए बोली और ड्व के चाचा अंदर चले गये.
‘थोड़ी फ़िक्र ड्व की है अभी लेकिन’ चाची बोली.
‘ड्व की?’ ड्व की मम्मी को समझ नही आया.
‘यह देखो’ चाची ने ड्व की मम्मी को एक काग़ज़ दिया.
‘मुझे मौत चाहिए…भगवान’ उसमें लिखा था.
‘ड्व ने कब और क्यूँ लिखा ये’ ड्व की मम्मी घबराई.
‘ये मुझे ड्व के तकिये के नीचे से मिला, क्रिसमस
की सुबह’ ड्व की चाची बोली.
‘क्या?’ ड्व की मम्मी हैरान थी.
‘हे भगवान’ एक दम से ड्व की मम्मी को सब कुछ समझ में आ गया.वो भाग कर गयी और ड्व को गले से लगा लिया.
रात को ड्व के सोने के बाद ड्व की चाची, चाचा और मम्मी, ड्व के पापा के पास बैठे थे.
‘ये चमत्कार कैसे हुआ समझ नही आया मुझे’ ड्व के पापा बोले.
‘ड्व की वजह से’ ड्व की मम्मी बोली और उनकी आँखे भर आई.
‘ड्व की वजह से कैसे’ ड्व की चाची बोली.
‘कैसे’ ड्व के चाचा और पापा ने पूछा.
‘ऐसे’ ड्व की मम्मी ने वही पर्चा ड्व के पापा को दिखाया.
‘मुझे मौत चाहिए…भगवान
‘हे भगवान ये क्या लिखा है’ ड्व के पापा और चाचा को घबराहट हुई.
‘आपका बेटा अपनी ज़िंदगी
के बदले आपकी ज़िंदगी माँग रहा था’ ड्व की मम्मी बोली.
‘क्या’ ड्व के पापा, चाचा और चाची को समझ नही आया.
‘ड्व ने पिछले साल भगवान के बारें में पूछा था तो मैने उसको बताया था की वो सबकी मदद करते है, उसने तभी खिड़की से एक मुर्दा ले जाते हुए देखा तो मैने उसको बोल दिया की जो भी ज़्यादा
परेशान होते है तो भगवान उनको अपने पास बुला लेता है. वही अगले दिन समाचार में उसने सरहद में लड़ते हुए जवानो को देखा और उनके बारे में पूछा तो मैने बोल दिया की जो भी अच्छे लोग होते है वो अपने बदले दूसरो को बचा लेते है और भगवान उन अच्छे लोगो को अपने पास ले जाते है’ ड्व की मम्मी बोली.
‘लेकिन उसको ये कैसे पता चला की भगवान के पास प्रार्थना पहुचती है या नही. या फिर कैसे पहुचती है’ ड्व की चाची बोली.
‘वो तो पिछले क्रिस्मस में जब उसकी मॅजिक पेन्सिल आई थी तो उसको ये विश्वाश हो गया था की सांता क्लॉज़ को भगवान भेजते है’ ड्व पापा ने याद करते हुए बोला और ड्व के मम्मी ने पूरा किस्सा सुनाया.