जब बोल पड़ी होंठो से वो, समझो दिल की जंग हार गयी,
जो बिन बोले बलखाई वो, समझो तुम पर सब वार गयी,
ना समझे हो उस दिल को तुम, नाज़ुक है जो फूलो जैसा,
जो देख तुझे मुस्काई वो, करके तुझे फिर प्यार गयी,
सच्चाई का है रोग ये, बस दिल से दिल का जोग है ये,
जो आँसू आँखों मे देखे, उस देव के वो दरबार गयी,
वो सुबह है एक निराली सी, दिखती है नाज़ुक डाली सी,
जो तुझको आँचल में पाया, तो भूल वो हर संसार गयी,
भगवान से भी बढ़ कर है वो, कोई ना समझे ये 'जालिम',
पल पल हमने कांटें बोए, बिन देखे वो उस पार गयी ||
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