Wednesday, November 5, 2014

लिखना है इतिहास


खुश्बू अपने ही करमो की,
इस कदर मुझको थी भाई,
सपनो की महकती बगियाँ में,
हीरो की फसल उगाई,

सब बोले ये नामुमकिन है,
मुमकिन पर नज़र तुम डालो,
इन्सा हो तुम इस धरती के,
भगवन के ख्वाब ना पालो,

लेकिन जाना था मैने भी,
मेहनत का है ना तोड़ कोई,
जो ठाने यहाँ कुछ करने की,
दिखता उसको ना मोड़ कोई,

जब जीवन सबका अलग अलग,
राहें क्यूँ एक ही जानें,
जब मृत्यु का ही पता नही,
तो डर की अब क्यूँ माने, 

हीरे बनते है आज वही,
तपते है जो यहाँ बरसो,
गर लिखना है इतिहास तुम्हे,
भूलो क्या कल, क्या परसो.

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