Sunday, December 17, 2017

ताज़गी


बहुत दिनों के बाद, जो देखा तुझे,
ओंस की बूँद सा, एहसास हुआ मुझे,

भूल चुका था ज़िंदगी,
ना याद, क्या है बंदगी,
दिखते थे केवल दो शब्द,
एक सफाई, एक गंदगी,

बहुत दिनों के बाद, जो देखा तुझे,
ओंस की बूँद सा, एहसास हुआ मुझे,

छुआ रूह को मेरी,
उस मुस्कान ने तेरी,
निकल गयी मुझसे,
रात थी जो घनेरी,

बहुत दिनों के बाद, जो देखा तुझे,
ओंस की बूँद सा, एहसास हुआ मुझे,

जाने कैसे जागा था,
कौन सा वो धागा था,
सोया था सालो से मैं,
कितना मैं अभागा था,

बहुत दिनों के बाद, जो देखा तुझे,
ओंस की बूँद सा, एहसास हुआ मुझे,

कुछ एहसासो में भीगा था,
जीने का अब सलीका था,
ताज़गी से भीगा मेरा मन,
सावन का जैसे, हर महीना था,  

बहुत दिनों के बाद, जो देखा तुझे,
ओंस की बूँद सा, एहसास हुआ मुझे ||

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